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बुढ़ापा एक छोटी सी कविता : समय आज मुझे कहा पहुंचा गया |

V singh
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समय किसी के लिए नही रुकता वो चलता ही रहता है इसी समय पर हमारी जिंदगी भी चलती रहती है जिसके चलते  हमारा बचपन, जवानी ओर बुढ़ापा आता है ओर एक दिन हमारा समय रुक जाता है
इसी समय पर एक छोटी सी कविता लिखी है जो आपको पसंद आएगी।
Poem on Budhapa
Budhape Par Kavita

बुढ़ापा एक छोटी सी कविता

समय  आज मुझे  कहा पहुंचा गया 
सुख दुःख का खेल मुझे बतलागया 
जिंदगी जीना सीखला  गया 
समय  आज मुझे कहा पहुंचा गया 

बचपन

बचपन के  वो मस्ती  से भरे  दिन 
 मुझे आज भी याद आते है
बचपन के वो मजेदार खेल
मुझे आज भी याद आते है 
बचपन के वो सच्चे  दोस्त 
 मुझे आज भी याद आते है
माता - पिता की वो डाट 
मुझे आज भी याद आती है
स्कूल के वो  पढ़ाई  भरे दिन
मुझे आज भी याद आते है
खुशीयों से  भरे वो बचपन के  सभी पल
मुझे आज भी याद आते है 

जवानी

बचपन के बाद जवानी की शुरुवात हो गयी
जवानी मे  कुछ सिखने की  शुरुवात हो गयी 
 जिंदगी को समझने की शुरुवात हो गयी
सपने पुरे करने की शुरुवात हो गयी 
नये रिश्ते जोड़ने की शुरुवात हो गयी
जिम्मेदारी को अपनाने की शुरुवात हो गयी
जिंदगी मे कुछ खोया  कुछ पाया 
सुख दुःख समझने की शुरुवात  हो गयी

बुढ़ापा

बचपन गया जवानी गयी शुरू हो गया बुढ़ापा
अधिकतर दोस्त चले गये बच गया सिर्फ मै अकेला
ताकत थी शरीर मे जब तक सब कुछ मुमकिन लगता था
अब शरीर ही छोड रहा है साथ बच गयी है तो  सिर्फ सोच 
सपने देखता था मै  कैसे कैसे
यह सोच कर आज हसने का  मन करता है
मुझे आज फिर से बचपन जीने का मन करता है
मुझे आज फिर से बचपन  जीने का मन करता है

समय

समय को कोई नही पकड़ सकता
मृत्यु को कोई नही रोक सकता
पल -पल आयु बढ़ते रहेगी
जिंदगी दूर -दूर जाते रहेगी
एक दिन लोभ -लालच सब ख़त्म हो जायेगा
बस याद रहेंगे तो सिर्फ आपके द्वारा किये गये अच्छे काम यही है इस जिंदगी में आने का सुन्दर परिणाम

बुढ़ापे पर कविता 

कल ही तो बचपन गुजरा
जवानी का दौर शुरू हुवा
कल ही तो बस्ता उतरा कंधो से
और पुरे परिवार का बोझ चढ़ गया
कल ही तो जवानी भी गुजरी
कंधों से परिवार का बोझ कल ही तो उतार
पर आज जब हंसना है आराम मिला तो
अब शरीर ही बोझ लगने लगा
बुढ़ापा कब आ गया जीवन में
समय का पता ही न चला
न खेल पाया खुल कर में
नही जिंदगी में हस पाया
पूरी जिंदगी बस कोई ना कोई बोझ ढोते गया
सोचता हूं जब में अब पुरानी बातों को
अब सब कुछ फिखा लगता हैं
अब तो कुछ बाते कहने और सुनने में भी
टाइम बहुत ज्यादा लगता हैं
यह बुढ़ापा भी क्या चीज़ है
जवानी के बाद सबको आना है
जिंदगी का यह आखरी सफर हैं यारों
हमे बस मुस्कुराते जाना है।


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