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भ्रष्टाचार पर कविता| Poem on Corruption

V singh
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आज हम इस पोस्ट मे भ्रष्टाचार पर कविता( Poem on Corruption ) लेकर आए है,जो भ्रष्टाचार के प्रति आपको जागरूक करने का काम करेंगी ओर भ्रष्टाचार से लडने के लिए प्रेरित करेंगी,ताकि हमारा देश Corruption मुक्त देश बन सके चलो आपको भ्रष्टाचार क्या होता है ये बताते है भ्रष्टाचार शब्द भ्रष्ट + आचार से मिलकर बना है, जिसमे भ्रष्ट का मतलब बुरा ओर आचार का मतलब आचरण है,अर्थात अनैतिक रूप से किया गया कार्य भ्रष्टाचार कहलाता है, जिसमे व्यक्ति धन अथवा लालच या यू कहे की अपनी इच्छा ओ को पूरा करने के लिए अनैतिक कार्य करता है,भ्रष्टाचार के अंदर  रिश्वत, टैक्स चोरी, घोटाला, ब्लैकमेल करना, पैसों मे वोट डालना,परीक्षा मे नकल, झूठा मुकदमा आदि अनेक अनैतिक कार्य आते है, जो देश मे भ्रष्टाचार को बढावा देते है, तो अब आप निचे दी गई भ्रष्टाचार पर कविताए पढे आशा करते है, आपको इनसे कुछ न कुछ सिखने समझने को मिलेगा|
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भ्रष्टाचार पर कविता
भ्रष्टाचार पर कविता 

भ्रष्टाचार पर कविता (Poem on Corruption 

भ्रष्टाचार पर जागरूक कविता -

भ्रष्टाचार फैला पुरे देश में
इस देश को कौन बचायेगा
ऐसे ही भ्रष्टाचार बढता रहा तो
दुनिया मे एक दिन भ्रष्टाचार के
मामले मे हमारा देश अवल आएगा
क्या बीतेगी उन वीरों के दिल पर तब 
जो देश के लिए बॉर्डर पर पहरा देते 
देश को खतरे से बचाने के लिए जो
अपनी जान न्योछावर कर देते 
बढ़ रहा भ्रष्टाचार देश मे ओर
ये ऐसे ही आगे बढता जायेगा
जब तक देश का एक-एक नागरिक
भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज नहीं उठाएगा
देश को भ्रष्टाचार से मुक्त करना है
तो सबको जागरूक होना होगा
छुप-छुप कर डर -डर कर मरने से अच्छा 
आगे आके भ्रष्टाचार से लडना होगा
आखिर कब तक हम ऐसे ही
भ्रष्टाचार को सहते रहेंगे
कब तक भ्रष्टाचारीयों को चुप रहकर 
ऐसे ही बढावा देते रहेंगे
आवाज उठाओ भ्रष्टाचार के खिलाफ
भ्रष्टाचारीयों को सबक सीखना है
हमें एकजुट  होकर इस देश को
भ्रष्टाचार मुक्त बनाना है |
               -V singh

Poem on Corruption 

भ्रष्टाचार फैल गया समाज मे
चारो तरफ भ्रष्टाचारी दिखते है
जो मासूम जनता को लूट कर
अपने तिजोरी को भरते है
शहर से लेकर गांव तक 
जहा जाओ तुम्हे ये मिल जायेगे
आवाज जो उठाओगे इनके खिलाफ
ये तुम्हारी आवाज को दबा देंगे
बचना चाहो तुम इनसे कितना
पर इनसे नहीं बच पाओगे
ऊपर से लेकर निचे तक
बस इन्ही का राज चलता है
जो ईमानदारी का नकाब पहने
भ्रष्टाचार फैलाने का काम करते है 
ये वो नमकहराम है
जो जिस देश का खाते 
उसी देश को धोखा देकर 
अपने आप को सच्चा
देश भक्त भी कहते है|
        -V singh

भ्रष्टाचार पर एक छोटी सी कविता 

भ्रष्टाचार का राज यहाँ
भरे पड़े सब भ्रष्टाचारी
जो इस देश के लिए
सबसे बड़ी हें बीमारी
इस बीमारी से लड़ना
बड़ा ही मुश्किल काम
क्योंकि ऊपर से निचे तक
इस बीमारी की पहचान
अपने ऊपर उठने वाली 
आवाज को ये दबा देते 
न माना फिर भी वो तो ये
उसे इस दुनिया से उठा देते 
गरीब की खून पसीने की कमाई
ये  सरीफ बन कर खा जाते
ओर गरीब की भूख-प्यास
मिटाने का ये झूठा वादा करते
भ्रष्टाचार ही भ्रष्टाचार फैल गया 
गरीब ज्यादा - ज्यादा गरीब ओर
अमीर ज्यादा- ज्यादा अमीर बन रहा|
              -V singh

Bhrashtachar Par Kavita

समाज मे फैल रहा है आज भ्रष्टाचार,
लेकिन बताओ दोस्तों कौन है इसका जिम्मेदार,
अगर कही ऑफिस ,दफ्तर मे रिश्वत खोरी चलती,
तो हम आवाज उठाने के बजाये रिश्वत देकर आते है,
सौ दो सौ ले जल्दी कर देता ये दोस्त से भी कहते है,
सरकारी नौकरी मिलनी कठिन हर जगह घुस चलती है,
लेकिन घुस देकर नौकरी पाने की प्रथा हमने ही बनायीं है,
अगर घुस के खिलाफ हम अपनी आवाज उठा देते,
योग्य इंसान को नौकरी मिलती घुसखोर जेल पर जाते,
बाइक चलाकर जब हम रोड पे तेजी से निकलते है,
बिना लाइसेंस, हेलमेट के अपने को हीरो समझते है,
अगर कोई पुलिस वाला हमें रुका हेलमेट, लाइसेंस पूछे,
तो  सौ दो सौ पकड़ हमें जाने दो हम उनसे कहते है,
इलेक्शन के समय हम नेताओं को बिना सोचे समझें,
वोट देते ओर बाद मे ये नेता भ्रष्टाचारी है ये आपस मे कहते,
समाज मे फैल रहा है आज भ्रष्टाचार,
लेकिन बताओ दोस्तों कौन है इसका जिम्मेदार,
भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का हम ही तो करते काम,
भ्रष्टाचार के खिलाफ हमने एकजुट होकर आगे आना होगा,
भ्रष्टाचार को जड़ से उखाड़ कर हमें मिटाना होगा |
                             - V singh

भ्रष्टाचार पर कविता - Corrupt Inshan

बचपन मे कहते थे तुम,
मै बड़ा होके अफसर बनूँगा,
ओर समाज मे बढ़ रहे करप्शन,
को मिटाने का काम करूँगा,
आज अफसर तो बन गये तुम,
पर वो बाते तुम्हारी झूठी थी,
Corruption मिटाने के बजाये,
तुम खुद Corrupt बन गये,
पैसो की कमी नहीं तुम्हारे पास,
फिर क्यों तुम रिश्वत लेते हो,
छीन एक गरीब का निवाला,
उसके बच्चों को तुम भूखा रखते हो 
याद रखना जिस तरह तुम,
रिश्वत लेकर अपनी तिजोरी भर रहे,
रोज न जाने कितने गरीबो की,
बदुवा से अपनी ओर अपने परिवार,
की किस्मत को लिख रहे |
                       - V singh

भ्रष्टाचार  पर हिन्दी कविता -

भ्रष्टाचार क्या है भाई, भ्रष्टाचार क्या नहीं भाई
रिश्वत लेना या देना भ्रष्टाचार, टैक्स चोरी करना भ्रष्टाचार
चन्द रूपये देकर वोट खरीदना भ्रष्टाचार
छोटे से लेकर बडा घोटाला भ्रष्टाचार
कुछ रूपये, या शराब लेकर वोट देना भ्रष्टाचार
झूठा मुकदमा,झूठी गवाही भ्रष्टाचार
समान को उसके रियल प्राइज से अधिक मे बेचना भ्रष्टाचार
चंदा लेकर उसे खा जाना भ्रष्टाचार
ब्लैकमेल करके पैसे मागना भ्रष्टाचार
दूध मे पानी मिलाकर बेचना भ्रष्टाचार
आज रोड बनती कल उसमे गड़े 
रोड के मटिर्यल मे  गुणवत्ता की कमी करना भ्रष्टाचार
खाने की हर चीज मे मिलावट भ्रष्टाचार
अब क्या बताऊं तुमको क्या भ्रष्टाचार है भाई
जहा देखो गै तुम वहा भ्रष्टाचार ही भ्रष्टाचार है|
                                -V singh

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दोस्तों आशा करते है आपको भ्रष्टाचार पर कविता पसंद आई होंगी ओर आपको इनसे कुछ न कुछ सिखने को मिला होगा अगर आपको ये  हिन्दी कविताए पसंद आई तो अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करे ओर भ्रष्टाचार से लडने की कोशिश करे 'धन्यवाद ' 


































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