-->

गाँव पर कविता |Poem on Village

V singh
By -
0
दोस्तों आज हम इस पोस्ट मे गाँव पर कविता (Poem on Village) लेकर आये है इन कविताओं से आपको गाँवो की सुंदरता, वहा का रहन सहन के बारे मे पता चलेगा ओर शहर की हकीकत का भी पता चलेगा, दोस्तों आज गाँव के लोग गाँव छोड कर शहरो में जाकर बस रहे है जिसके  कारण कई गाँव लोगो के बिना वीरान खंडरो मे बदलते जा रहे है 
आज हम  गाँव पर कविता लाये है जिसमे हम  गाँव की सुंदरता का कविता के माध्यम से वर्णन करेंगे जो आपको जरूर पसंद आयेगी |
गाँव पर कविता
गाँव पर कविता (Poem on Village )

गाँव की सुंदरता पर कविता -

चारो ओर से पहाड़ो
ओर जंगलो से घिरा
एक छोटा सा सुन्दर
ओर स्वच्छ मेरा गाँव
जहाँ स्वच्छ पानी से भरी
नदी बहती है छल छल 
जहाँ कोयल  मधुर
गाना सुनाती हर पल 
जहाँ अनेक चिडियो की
आवाज़ सुनने को मिलती
जहाँ पानी मे अनेको
जड़ी-बूटीया घुली मिलती
जहाँ  शुद्ध ओर ठण्डी हवा
शरीर मे ताजगी भर देती
जहाँ  न चाहिए कूलर
पंखा ओर न फ्रिज
यही तो खास बनाता है
मेरे पहाड़ो के गाँवो को |
                - V singh

शहरो की ओर पलायन पर कविता 

प्राकृतिक सौन्दर्य के बीच बसा
एक छोटा सा प्यार सा गाँव
एक समय था जब  गाँव मे 
लोग फसल उगाया करते थे 
फलो के बगिचो से  मिलकर 
वानर भगाया करते थे
नदि घाटियों  मे जब बच्चे नहाया करते थे
नहाते नहाते वो प्यारे - प्यारे गीत गाया करते थे 
पीपल के छाव मे बैठ कर बूढ़े लोग 
भजन  गुनगुनाया करते थे 
गाँव मे इंसानो ,जानवरो ,ओर पक्षीयों की
आवाज गुजा करती थी
ये देखकर गाँव की धरती
भी मुस्कुराया करती थी 
फिर पता नहीं लोगो ने
शहर मे क्या देखा
धीरे- धीरे लोग गाँव को छोड
शहरो की ओर चले गये 
ये पलायन का सिलसिला कई
सालो तक चला रहा
धिरे -धीरे फसल बोना बंद हुवा
धीरे -धीरे फलो के बगीचे
बिना इंसानों के नस्ट होने लगे 
फिर एक दिन ऐसा आया जब
गाँव मे एक इंसान न बचा
जिस गाँव मे थी पहले बहुत चहल पहल
वो अब विराना हो गया
इंसानों की प्रतीक्षा करते करते
घर कुछ सालो मे खंडर हो गये
फसलो से भरे होते थे जो खेत
वो घास के मैदानो मे बदल गये 
सुनी  हो गयी वो नदिया सारी 
जहाँ बच्चे नहाया करते थे
सुना हो गया पीपल का पेड़
जिसकी छाव मे बुजुर्ग बैठा करते थे 
बंद हो  गये वो रास्ते जहाँ
से इंसान गुजरा करते थे 
क्या न मिला इंसान को गाँव मे
जो वो शहर को चला गया
अपने विकास की सोच कर
वो गाँव को पीछे छोड गया
एक बार अगर इंसान गाँव के
विकास के बारे मे सोचता
इंसान की हर ख्वाहिश
गाँव मे ही पूरी हो जाती
वीरान पड़े उस गाँव मे 
खुशिया है बिखरी होती|
                      -V singh

गाँव पर कविता - गाँव की याद 

याद आ रही मुझे मेरे गाँव की
जहाँ मेरा जन्म हुवा
जहाँ मेरा बचपन बिता
जहाँ खेलकूद कर मे बड़ा हुवा
वो गाँव की नदियाँ मुझे है बुला रही
जहाँ दोस्तों के साथ मै नहाया करता था
बुला रहा वो गाँव का मैदान मुझे जहाँ मै
दोस्तों के साथ खेल खेला करता था ,
याद आ रही उस पीपल के पेड़ की
जिसकी छाव मै ओर मेरे दोस्त बैठा करते थे
जहाँ गाँव के बुजुर्ग हमें कहानी सुनाया करते थे
याद आ रही उन जगलो की जहाँ
हम गाय, बकरी चराने जाते थे,
घर को आते समय सुखी लकड़ी तोड़ के लाते थे,
घर छोटा था पर सब प्यार से रहा करते थे
पुरे गाँव के लोग मुसीबत मै एकजुट हुवा करते थे
जवानी आते ही मै  शहरो की ओर आकर्षित हुवा
गाँव के घर जमीन को बेच शहर मै जा बसा 
कुछ दिन तो शहर मै सब कुछ अच्छा अच्छा लगता था
लेकिन फिर धिरे -धीरे शहर की हकीकत पता चली
न शहर मै शुद्ध हवा ओर न शुद्ध  पानी मिलता
न चैन की नीद शहरो मै कोई ले सकता
चारो तरफ बस प्रदूषण ही प्रदूषण है शहरो मै 
स्वस्थ था मै जब गाँव से शहर आया
लेकिन अब कई बीमारी शरीर मै लेकर घूमता हुँ
याद आती है जब गाँव की मै चोरी छिपे रो लेता हुँ 
अब बस एक इच्छा है मेरी मै शहर छोड अपने गाँव जाऊ
ओर वहा एक छोटा सा घर बनाके
आगे की जिंदगी गाँव मे ही गुजारू
याद आ रही मुझे मेरे गाँव की
याद आ रही मुझे मेरे गाँव की |
                                     -V singh

 Poem on Village -गाँव ओर शहर 

शहरो के प्रदूषण से
परेशान हैं शहरी लोग
शुद्ध वातावरण मे चैन से जी
रहे पहाड़ी गाँवो के लोग
तेज गर्मी के मारे शहरो के लोग
बाहर निकलने से डरते 
गाँवो मे गर्मी के मौसम मे भी लोग
ठण्डी हवा मे बाहर है घूमते
शहरो मे शुद्ध पानी तक
नहीं मिलता इंसानों को 
गाँवो मे शुद्ध पानी
 नदियों मे बहता रहता 
ऐसी ही अनेको अच्छी बाते
गाँव को शहर से अलग बनाती है
ओर शांतिपूर्ण जीवन जीने के लिए
गाँव को स्वर्ग बनाती है |
                             -V singh

गाँव के पलायन पर कविता - बुला रहा  गाँव हमें 

बुला रहा हमारा गाँव हमें,
जिसे वर्षो पहले हम छोड़ आये 
बुला रहा वो घर आँगन
जहाँ हमारा बचपन बिता
बुला रही गाँव की मिट्टी
जिस पर खेल हम बड़े हुवे 
बुला रहे वो बंजर खेत 
जिसमे कभी फसल लहराती थी
बुला रही वो गाँव की नदी
जहाँ हम नहाया करते थे 
बुला रहा वो पीपल का पेड़
जिसकी छाया मे,हम बैठते थे
राह तक रहा गाँव का रास्ता
की कब कोई गाँव के तरफ आये
ओर इस खंडर पड़े गाँव को  
फिर एक सुन्दर गाँव बनाये |
                    - V singh

दोस्तों अगर आपको हमारे द्वारा लिखी गयी गाँव पर कविता (Poem on Village ) पसंद आयी तो इस पोस्ट का लिंक अपने दोस्तों के साथ शेयर करे ओर गाँव के प्रति प्यारे- प्यारे कमेंट बॉक्स पर  लिखें
'धन्यवाद '
Read more poetry
👇👇👇👇

















एक टिप्पणी भेजें

0टिप्पणियाँ

Please do not enter any spam link in the comment box.

एक टिप्पणी भेजें (0)