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घर पर कविता : अपना घर

V singh
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आज हम इस पोस्ट पर घर पर कविता (अपना घर) लाये है जो आपको पसंद आये तो अपने दोस्तों के साथ शेयर करें दोस्तों घर पर कविता  अपना  घर हमारे जिंदगी का एक अनमोल हिस्सा है, जहाँ हमारा सुन्दर सा बचपन बितता है, जिसकी दीवारों को हम बचपन मे गन्दा कर दिया करते थे जिसके आँगन मे हम खेल - खुद किया करते थे, जिसके गार्डन से हम फुल सब्जियाँ तोड़ा करते थे, जिस घर मे अनेको यादें बसी होती है जिसको हमें कभी नहीं छोड़ना है,
आज बहुत से लोग अपने पुस्तेनी  घर को छोड कही दूर जाकर नये घर मे रहते है, नया घर लेना या बनाना कोई गलत बात नहीं लेकिन नये घर के चलते पुस्तेनी घर की तरफ पीछे मूड कर न देखना गलत लगता है क्योंकि जिस घर मे हमारी अनेको यादें बसी जो घर हमारे लिए पूर्वजो का तोफा है उसको खंडर मे बदलते देखना हमारी नाकामयाबी है, हमें अपने पूर्वजो के दिए तोफे को संभाले रखना है ये हमारा फर्ज है, क्योंकि ये हमारी जिंदगी का एक पन्ना है, वहा से हमारी जिंदगी शुरू हुवी तभी तो आज हम यहाँ है |
घर पर कविता - अपना घर
घर पर कविता 

घर पर कविता - अपना घर 

अपना घर तो अपना ही होता है,
चाहे बना हो वो लकड़ी मिट्टी का,
या बना हो ईट, सीमेंट, सरिये का,
रहने मे तो वही सकून आता है,
अपना घर तो अपना ही होता है|

चाहे बारिश मे टपके छत,
या फर्श मे  बारों महीने रहती सीलन हो,
लेकिन हमें वही रहना अच्छा लगता है,
अपना घर तो अपना ही होता है|

महल वही है हमारे लिए,
वही हमारे लिए  मंदिर है,
जिंदगी भर की कमाई का तोफा वही,
वही हमारे लिए जन्नत है,
जैसा भी हो चाहे छोटा हो या बड़ा,
अपना घर तो अपना ही  होता है|

जहाँ  रहता है हमारा परिवार,
जिसे  ये घर सभाले रहता है,
अनेक बीती यादों को,
ये घर  समेटे रखता है,
हमारा सुख - दुःख जुडा है इससे,
ये  हमारे लिए सब कुछ है,
जैसा भी है चाहे छोटा हो या बड़ा,
अपना घर तो अपना ही होता है|

दादा - दादी का आशीर्वाद यहाँ,
माता पिता की डाट यहाँ,
भाई - बहन का झगड़ा यहाँ,
बचपन की सब यादें यहाँ,
फिर क्यों हम इसको छोड़े,
क्यों हम इससे मुँह मोड़े,
जैसा भी है ये सबसे अच्छा है|

अच्छे लगते है हमें कमरे इसके,
अच्छा लगता इसका आँगन,
अच्छा लगता इसके बगल मे,
रंग बिरंगा फूलों का गार्डन|

फिर क्यों हम इसको छोडे,
क्यों हम इससे मुँह मोड़े,
पूर्वजो का दिया ये एक तोफा है,
अनेक यादों से भरा संन्दुक है,
इसका हर पत्थर, हर ईट अनमोल है|

न इसको पैसो से  तोला जा सकता,
ये ऐसा अनमोल हिरा है,
चाहे हो ये छोटा या बड़ा,
ये हमारा पुस्तेनी घर है|

जो हमें अपने जान से भी प्यारा है,
फिर क्यों हम  इसको छोड के जाए,
क्यों इसको खंडर बनने दे,
क्यों इससे जुडी यादों को,
 ऐसे ही मिटने दे,
इसको बनाये रखना मेरा फर्ज है,
क्योंकि जैसा भी  है छोटा बड़ा,
अपना घर तो अपना ही है |

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