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Desh Bhakti Kavita In Hindi 2024 । देशभक्ति कविताएं

V singh
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Desh Bhakti Kavita In Hindi - नमस्कार दोस्तों आपका स्वागत हैं. इस ब्लॉग लेख में जहां आज हम आपके लिए पंद्रह अगस्त, और 26 जनवरी के मौके पर स्कूलों , कॉलेजों या अन्य जगह सुनाने के लिए देश भक्ति कविताएं लेकर आएं हैं. इनमें से ज्यादातर कविताएं हमारे देश के महान कवियों के द्वारा देश भक्ति पर लिखी गई हैं. जिनके सुनने मात्र से ही हर इंसान के अंदर Desh Bhakti की भावना पैदा हों जाती हैं।

हर इंसान को अपनी जन्मभूमि से अपने देश से बहुत प्यार होता हैं. लेकिन जिसको नही समझ लो वो देश भक्त नही क्योंकि वह रक्त क्या जो रगों में बहता हों पर कठिन परिस्थितियों में अपने देश अपनी मातृभूमि की रक्षा करने के काम न आए हर इंसान को अपने देश पर नाज होना चाहिए क्योंकि इसको आगे बढाने की जिम्मेवारी सिर्फ कुछ लोगों की नही बल्कि देश में रह रहें हर नागरिक की होती हैं. इस लिए छोटी - छोटी बातों में अपने देश को बुरा भला कहना बहुत गलत बात हैं. देश भक्ति की कोई सीमा नहीं होती देश भक्ति में तो एक सिपाही हर रिश्ते को भुला हंसते - हंसते देश के खातिर अपनी जान तक गवा देता हैं।

Desh Bhakti Kavita In Hindi
Poem On Desh Bhakti 

तो दोस्तों चलिए आपकों Desh Bhakti Kavita In Hindi 2024 , देशभक्ति कविताएं बताते हैं. जिनको याद कर आप अपने स्कूल, कॉलेज या अन्य जगह खास मौकों पर सुना सकतें हों।

Table of Content (toc )

Desh Bhakti Kavita In Hindi 2024  

बहुत सारे लोग हर साल 15 अगस्त , 26 जनवरी, 26 जुलाई कारगिल विजय दिवस तथा आदि मौको पर Google में सर्च करते हैं. Desh Bhakti Kavita, Best Desh Bhakti Poem, Heart Touching Desh Bhakti Kavitaye, Patriotic Poem In Hindi आदि तो इसी लिए हम बहुत सारी देशभक्ति कविताएं लाए हैं. जो हमारे देश के महान कवियों ने लिखी है।

देशभक्ति कविता - सरफरोशी की तमन्ना 

सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
देखना है ज़ोर कितना बाज़ु-ए-कातिल में है

करता नहीं क्यूँ दूसरा कुछ बातचीत,
देखता हूँ मैं जिसे वो चुप तेरी महफ़िल में है

ए शहीद-ए-मुल्क-ओ-मिल्लत मैं तेरे ऊपर निसार,
अब तेरी हिम्मत का चरचा गैर की महफ़िल में है

वक्त आने दे बता देंगे तुझे ऐ आसमान,
हम अभी से क्या बतायें क्या हमारे दिल में है

खैंच कर लायी है सब को कत्ल होने की उम्मीद,
आशिकों का आज जमघट कूच-ए-कातिल में है

यूँ खड़ा मक़तल में क़ातिल कह रहा है बार-बार,
क्या तमन्ना-ए-शहादत भी किसी के दिल में है

वो जिस्म भी क्या जिस्म है जिसमें ना हो खून-ए-जुनून
तूफ़ानों से क्या लड़े जो कश्ती-ए-साहिल में है,

हाथ जिन में हो जुनूँ कटते नही तलवार से,
सर जो उठ जाते हैं वो झुकते नहीं ललकार से
और भड़केगा जो शोला-सा हमारे दिल में है,

है लिये हथियार दुशमन ताक में बैठा उधर,
और हम तैय्यार हैं सीना लिये अपना इधर
खून से खेलेंगे होली गर वतन मुश्किल में है,

हम तो घर से निकले ही थे बाँधकर सर पे कफ़न,
जान हथेली पर लिये लो बढ चले हैं ये कदम
जिन्दगी तो अपनी मेहमान मौत की महफ़िल में है,

दिल में तूफ़ानों की टोली और नसों में इन्कलाब,
होश दुश्मन के उड़ा देंगे हमें रोको ना आज
दूर रह पाये जो हमसे दम कहाँ मंज़िल में है,

लेखक – राम प्रसाद बिस्मिल

Desh Bhakti Kavita - न चाहूं मान दुनियां में 


न चाहूँ मान दुनिया में, न चाहूँ स्वर्ग को जाना
मुझे वर दे यही माता रहूँ भारत पे दीवाना

करुँ मैं कौम की सेवा पडे़ चाहे करोड़ों दुख
अगर फ़िर जन्म लूँ आकर तो भारत में ही हो आना

लगा रहे प्रेम हिन्दी में, पढूँ हिन्दी लिखुँ हिन्दी
चलन हिन्दी चलूँ, हिन्दी पहरना, ओढना खाना

भवन में रोशनी मेरे रहे हिन्दी चिरागों की
स्वदेशी ही रहे बाजा, बजाना, राग का गाना

लगें इस देश के ही अर्थ मेरे धर्म, विद्या, धन
करुँ मैं प्राण तक अर्पण यही प्रण सत्य है ठाना

नहीं कुछ गैर-मुमकिन है जो चाहो दिल से “बिस्मिल” तुम
उठा लो देश हाथों पर न समझो अपना बेगाना।।
लेखक – राम प्रसाद बिस्मिल

देश भक्ति कविता - कस ली है कमर अब तो 

कस ली है कमर अब तो, कुछ करके दिखाएंगे,
आज़ाद ही हो लेंगे, या सर ही कटा देंगे।

हटने के नहीं पीछे, डरकर कभी जुल्मों से,
तुम हाथ उठाओगे, हम पैर बढ़ा देंगे।

बेशस्त्र नहीं हैं हम, बल है हमें चरख़े का,
चरख़े से ज़मीं को हम, ता चर्ख़ गुंजा देंगे।

परवा नहीं कुछ दम की, ग़म की नहीं, मातम की,
है जान हथेली पर, एक दम में गंवा देंगे।

उफ़ तक भी जुबां से हम हरगिज़ न निकालेंगे,
तलवार उठाओ तुम, हम सर को झुका देंगे।

सीखा है नया हमने लड़ने का यह तरीका,
चलवाओ गन मशीनें, हम सीना अड़ा देंगे।

दिलवाओ हमें फांसी, ऐलान से कहते हैं,
ख़ूं से ही हम शहीदों के, फ़ौज बना देंगे।

मुसाफ़िर जो अंडमान के, तूने बनाए, ज़ालिम,
आज़ाद ही होने पर, हम उनको बुला लेंगे।

लेखक – अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ


Desh Bhakti Kavita - तेरा आह्वान सुन कोई न आएं 

तेरा आह्वान सुन कोई ना आए, तो तू चल अकेला,
चल अकेला, चल अकेला, चल तू अकेला!
तेरा आह्वान सुन कोई ना आए, तो चल तू अकेला,
जब सबके मुंह पे पाश..
ओरे ओरे ओ अभागी! सबके मुंह पे पाश,
हर कोई मुंह मोड़के बैठे, हर कोई डर जाय!
तब भी तू दिल खोलके, अरे! जोश में आकर,
मनका गाना गूंज तू अकेला!
जब हर कोई वापस जाय..
ओरे ओरे ओ अभागी! हर कोई बापस जाय..
कानन-कूचकी बेला पर सब कोने में छिप जाय…

लेखक – रवींद्र नाथ ठाकुर


Desh Bhakti Kavita In Hindi 

इसी घर से
एक दिन
शहीद का जनाज़ा निकला था,
तिरंगे में लिपटा,
हज़ारों की भीड़ में।
काँधा देने की होड़ में
सैकड़ो के कुर्ते फटे थे,
पुट्ठे छिले थे।
भारत माता की जय,
इंकलाब ज़िन्दाबाद,
अंग्रेजी सरकार मुर्दाबाद
के नारों में शहीद की माँ का रोदन
डूब गया था।
उसके  की लड़ी
फूल, खील, बाताशो की झडी में
छिप गई थी,
जनता चिल्लाई थी-
तेरा नाम सोने के अक्षरों में लिखा जाएगा।
गली किसी गर्व से
दीप गई थी।

इसी घर से
तीस बरस बाद
शहीद की मां का जनाजा निकला है,
तिरंगे में लिपटा नहीं,
(क्योंकि वह ख़ास-ख़ास
लोगों के लिए विहित है)
केवल चार कंधों पर
राम नाम सत्य है
गोपाल नाम सत्य है
के पुराने नारों पर;
चर्चा है, बुढिया बे-सहारा थी,
जीवन के कष्टों से मुक्त हुई,
गली किसी राहत से
छुई छुई।

लेखक – हरिवंशराय बच्चन

देश भक्ति पर कविता - भारत की आरती 


भारत की आरती
देश-देश की स्वतंत्रता देवी
आज अमित प्रेम से उतारती।

निकटपूर्व, पूर्व, पूर्व-दक्षिण में
जन-गण-मन इस अपूर्व शुभ क्षण में
गाते हों घर में हों या रण में
भारत की लोकतंत्र भारती।

गर्व आज करता है एशिया
अरब, चीन, मिस्र, हिंद-एशिया
उत्तर की लोक संघ शक्तियां
युग-युग की आशाएं वारती।

साम्राज्य पूंजी का क्षत होवे
ऊंच-नीच का विधान न होवे
साधिकार जनता उन्नत होवे
जो समाजवाद जय पुकारती।

जन का विश्वास ही हिमालय है
भारत का जन-मन ही गंगा है
हिन्द महासागर लोकासय है
यही शक्ति सत्य को उभारती।

यह किसान कमकर की भूमि है
पावन बलिदानों की भूमि है
भव के अरमानों की भूमि है
मानव इतिहास को संवारती।

लेखक – शमशेर बहादुर सिंह

Desh Bhakti Kavita - ऐ मेरे प्यारे वतन 

ऐ मेरे प्यारे वतन, ऐ मेरे बिछड़े चमन
तुझ पे दिल कुरबान
तू ही मेरी आरजू़, तू ही मेरी आबरू
तू ही मेरी जान
तेरे दामन से जो आए
उन हवाओं को सलाम
चूम लूँ मैं उस जुबाँ को
जिसपे आए तेरा नाम
सबसे प्यारी सुबह तेरी
सबसे रंगी तेरी शाम
तुझ पे दिल कुरबान

माँ का दिल बनके कभी
सीने से लग जाता है तू
और कभी नन्हीं-सी बेटी
बन के याद आता है तू
जितना याद आता है मुझको
उतना तड़पाता है तू
तुझ पे दिल कुरबान

छोड़ कर तेरी ज़मीं को
दूर आ पहुंचे हैं हम
फिर भी है ये ही तमन्ना
तेरे ज़र्रों की कसम
हम जहां पैदा हुए उस
जगह पे ही निकले दम
तुझ पे दिल कुर्बान 

लेखक - प्रेम धवन

New Desh Bhakti Kavita - देश भक्ति क्या होती हैं 

पूछो उन जवानों से
देश भक्ति क्या होती हैं
जो बॉर्डर पर हैं तैनात
तब जाकर सो रहें हम
चैन की नीद हर रात

पूछो उन किसानो से
देश भक्ति क्या होती हैं
जो खेतों में बहा खून पसीना
फसल उगाए हर साल
तभी तो भुख मिटे हमारी
स्वस्थ रहें हमारा परिवार

पूछो उन वैज्ञानिकों से
देश भक्ति क्या होती हैं
जो रात दिन एक कर
ऐसे - ऐसे अविष्कार कर रहें
खुद को खाने, सोने का टाइम नही
पर देश का विकास करें

पूछो देश के नौजवानों से
देश भक्ति क्या होती हैं
तो वो आपको बतलाएगे
इस देश मैं हमने जन्म लिया
यह मातृभूमि हमारी हैं
इसकी रक्षा हमारा धर्म कर्म
हमारा जीवन इसपर कुर्बान है।

पूछो देश के छोटे बच्चो से
देश भक्ति क्या होती हैं
भले न पता हों उनको कुछ
लेकिन वो आपको बता देगे
अपनी मधुर आवाज में
भारत माता की जय
का नारा लगा देगे।
लेखक - V Singh

Desh Bhakti Poem In Hindi - वीर जवान 

आज फिर एक वीर जवान
तिरंगे में लपेट के आया हैं
आज फिर वीर माता पिता ने
अपने सपूत को खोया हैं।

आज फिर एक घर का
प्यारा सा दीपक बुझ गया
आज फिर इस धरती ने
एक वीर जवान खो दिया

जिसके वीरता के चर्चे
सदियों तक याद रखे जायेंगे
जिसका नाम शहीदों में
स्वर्ण अक्षर बन चमकेगा

मौत मिले तो ऐसी शान भरी
वरना मरते तो रोज हजारों हैं
मर के भी जो अमर बन जाएं
उन जवानों की शहादत को
देश के हर नागरिक की सलामी है।
लेखक - V singh

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आखरी शब्द 

आज के इस ब्लॉग लेख में हम देश भक्ति कविताएं लेकर आएं थे आशा करते हैं. आपकों यह ब्लॉग लेख Desh Bhakti Kavita In Hindi 2024 जरूर पसंद आया होगा और आपकों इससे बहुत कुछ सीखने को मिला होगा धन्यवाद आपका दिन शुभ हो। भारत माता की जय 

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