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IPO Kya Hai आईपीओ में निवेश कैसे करें जाने

V singh
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IPO Kya Hai:- नमस्कार दोस्तों आपका स्वागत हैं, इस ब्लॉग लेख में जहां हम आज आपकों बताने वालें हैं, IPO के बारे में की आईपीओ क्या होता हैं. क्योंकी अगर आप शेयर मार्केट में निवेश करते हों या करने की सोच रहें हों तो आपकों IPO के बारे में भी पता होना बहुत जरूरी हैं. ताकी आप एक अच्छी कम्पनी के IPO में निवेश कर अच्छा खासा प्रॉफिट बना सको।

इस ब्लॉग लेख में हम आपकों बताएंगे कि आखिर IPO Kya Hai ओर आईपीओ में निवेश करें , इसका उद्देश्य क्या होता है, तथा कंपनी को अपना आईपीओ क्यों जारी करना पढता है, आपको IPO सम्बंधित सारी जानकारी इस पोस्ट में मिल जाएगी इसलिए इसे ध्यानपूर्वक पूरा पढे तों चलिए बिना समय गवाए शुरू करते है।

Table of Content (toc )

IPO Kya  Hai ( What is IPO )

जब कोई कंपनी शेयर मार्केट में लिस्ट होने के लिए पहली बार अपने शेयर या स्टॉक को जनता के सामने जारी करती है तों उसे IPO (आईपीओ ) कहते है।
IPO Kya Hai
IPO Information In Hindi

IPO का Full Form

आईपीओ का फुल फॉर्म होता है इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग ( Initial Public Offering ) जिसे हिन्दी में प्रारंभिक  सार्वजानिक प्रस्ताव कह सकते है.

कंपनी IPO क्यों जारी करती है?

IPO जारी करने के वैसे तों बहुत कारण होते है लेकिन ज्यादातर  जब कंपनी लगातार ग्रोथ में चलती है, तों कंपनी का मालिक कंपनी की ग्रोथ को देखते हुवे उसका और विस्तार करने की सोचता है, लेकिन उसके लिए उसको बहुत सारी पूजी की आवश्यकता पड़ती है, इतनी ज्यादा पूजी को जुटाने के लिए उसके पास दो ऑप्शन होते है पहला तों लोन दूसरा आईपीओ वो दूसरे ऑप्शन को चुनता है, जिसमें वो अपनी कंपनी के मालिकाना हक के कुछ प्रतिशत हिस्से को (जिसे हम शेयर या स्टॉक कहते है )   IPO के जरीए जनता के सामने लाता है, ओर पूजी जुटाता है.

हमनें ऊपर जाना की IPO kya hai, IPO ki full form क्या होती है अब बात करते है आईपीओ कितने प्रकार के होते है,

IPO कितने प्रकार के होते है ( Types of IPO in Hindi ) जानिए 

IPO दो प्रकार के होते है, जों निम्न है,
  • Fixed Price IPO
  • Book Building

1- Fixed Price IPO

फिक्स्ड प्राइस यानी निर्धारित मूल्य IPO को उस जारी कीमत  के रूप में रखा जाता है  जिसे  कंपनियां अपने शेयरों की प्रारंभिक बिक्री के समय  निर्धारित करती हैं.  निवेशकों को उन शेयरों की कीमत के बारे में तब पता चलता है जब  कंपनी शेयरों  को सार्वजनिक करने का फैसला करती है. इश्यू बंद होने के बाद बाजार में Share requisition ( शेयरों की मांग )  का पता लगाया जा सकता है. यदि इन्वेस्टर  इस IPO में हिस्सा  लेता  हैं, तो उसे  यह सुनिश्चित करना होगा कि वे आवेदन करते समय शेयरों की पूरी कीमत का भुगतान करें.

2- Book Building IPO

 बुक बिल्डिंग में IPO शुरू करने वाली कंपनी इन्वेस्टरों को शेयरों पर 20 प्रतिशत तक का मूल्य बैंड देती है. जिसे समझ इन्वेस्टर अंतिम प्राइज तय होने से पहले शेयरों पर बोली लगाते हैं. यहां इन्वेस्टरों को उन शेयरों की संख्या को Specified करने की आवश्यकता है जिन्हें वे Buy करना चाहते हैं और वह अमाउंट जो वे प्रति शेयर भुगतान करने को तैयार हैं.

Lowest Share Price को Floor price के रूप में जाना जाता है और Highest Share Price को Cap price के रूप में जाना जाता है. शेयरों की कीमत के बारे में  आखरी फैसला इन्वेस्टरों की बोलियों के द्वारा Determined ( निर्धारित ) किया जाता है।

IPO लाने के कारण 

कंपनीयों का  आईपीओ (IPO) लाने के कुछ कारण होते है जों निम्न है,

1- कंपनी के विस्तार के लिए - जैसे हमनें आपको ऊपर बताया की जब कंपनी लगातार ग्रोथ में चलती है तों कंपनी के ओर अधिक विस्तार के लिए अधिक पूजी की आवश्यकता पड़ती है जिसके लिए कंपनी IPO लाती है.

2- कंपनी का कर्ज कम करने के लिए - जब कंपनी ज्यादा कर्ज में होती है तों कर्ज कम करने के लिए कंपनी के पास दो ऑप्शन होते है पहला बैंक से लोन लेकर दूसरा आईपीओ लाकर लेकिन कंपनी बैंक से लोन लेकर कर्ज की भरपाई करने से बढ़िया IPO लाकर कर्ज की भरपाई करना बेहतर समझती है.

 कंपनी के आईपीओ ( IPO ) लाने के ओर भी बहुत सारे कारण हों सकते है.आईपीओ लाने के लिए किसी भी कंपनी को SEBI ( भारतीय प्रतिभूति ओर विनिमय बोर्ड ) के हर नियम को ध्यान में रखते हुवे उसका पालन करना पड़ता है,

अभी तक हमनें जाना IPO Kya Hai ओर आईपीओ क्यों जारी किया जाता है, तथा IPO कितने प्रकार का होता है लेकिन अब बात आती है, की कोई भी निवेशक ( Invester ) आईपीओ में निवेश कैसे कर सकता है तों चलिए जानते है।

आईपीओ में निवेश कैसे करें ( How to invest in IPO ) जानिए 

आईपीओ जारी करने वाली कंपनी अपने IPO को निवेशकों के लिए कम से कम 3 दिन ओर अधिक से अधिक 10 दिन के लिए खोलती है, इसका मतलब यह  है की कोई भी कंपनी IPO लाती है तों निवेशक उसे 3 दिन से लेकर 10 दिन के बीच खरीद सकता है, इसमें कोई कंपनी IPO जारी करने की अवधि तीन  दिन रखती है तों कोई तीन दिन से ज्यादा।

अब निवेशक को इन्हीं दिनों के अंदर कंपनी की साइट में जाकर या रजिस्टर्ड ब्रोकर्स के जरिए IPO में निवेश करना पड़ता है अगर आईपीओ फिक्स प्राइस आईपीओ है तों आपको उसी फिक्स प्राइज में आईपीओ के लिए अप्लाई करना होगा ओर अगर बुक बिल्डिंग आईपीओ है तों आपको उस बुक बिल्डिंग आईपीओ में ही बीड लगानी पड़ती है।

अलॉटमेंट प्रोसेस ( Allotment Process )

जब आईपीओ को जारी करने की अवधि खत्म हों जाती है यानी आईपीओ ओपनिंग क्लोज हों जाती है तों कंपनी IPO Allotment करती है जिसमें वो सभी निवेशकों को IPO अलॉट करती है, जिसके बाद शेयर, स्टॉक एक्सचेंज  में लिस्ट हों जाते है, जिसके बाद शेयर सेकेण्डरी मार्केट में निवेशकों के बीच खरीदे व बेचे जाते है, जब तक  शेयर स्टॉक मार्केट में लिस्ट नहीं होते निवेशक उन्हें नहीं बेच सकते।

आईपीओ ( IPO ) जारी करने से पहले कंपनी को SEBI के नियमों का पालन करना पड़ता है तभी वो आईपीओ जारी कर सकती है, इसके लिए कंपनी एक रेड हैरिंग प्रॉस्पेक्टेस सेबी को देना होता है,
जिसमें कंपनी की बिजनेस डिटेल्स, कैपिटल स्ट्रक्चर, रिस्क स्ट्रेटजी , प्रोमोटर्स एंड मैनेजमेंट, पास्ट फाइनेंशियल डेटा आदि बहुत सारी जानकारी होती है तब जाकर वो आईपीओ ला सकती है।

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FAQ:- IPO Kya Hai

IPO कितने प्रकार के होते है?
आईपीओ दो प्रकार के होते है पहला  फिक्स्ड प्राइस आईपीओ दूसरा बुक बिल्डिंग आईपीओ |

IPO ka full form in hindi
इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग यानी प्रारंभिक सार्वजानिक प्रस्ताव

IPO फुल फॉर्म इंग्लिश
Initial Public offering 

आखरी शब्द -

आज हमनें इस पोस्ट के माध्यम से जाना की IPO Kya Hai, आईपीओ में निवेश कैसे करें, आईपीओ कितने प्रकार के होते है ( Types of IPO ) तथा ओर भी आईपीओ सम्बंधित बहुत सारी जानकारी आशा करते है, आपको ये जानकारी पसन्द आई होंगी ओर आप जान गए होगें की आईपीओ क्या है, तथा इसे  कंपनी क्यों लाती है, या जारी करती है, अगर इस पोस्ट से सम्बंधित आपके मन में कोई सवाल हों तों आप कमेंट कर पूछ सकते हों हम सवाल का जवाब देने की पुरी कोशिश करेंगे ' धन्यवाद ' आपका दिन शुभ हों 


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